2122 222 2221
इक तबस्सुम है तेरे-मेरे बीच
राह रौशन है तेरे-मेरे बीच
हमख़याली जब भी रचती है कशिश
इक सुकूं रहता तेरे-मेरे बीच
बारहा लोग बढ़ा देते हैं बात
गुफ़्तगू चलती तेरे-मेरे बीच
शाम-भर धीमी बतकहियों का सबब
रंग लाया है तेरे-मेरे बीच
दूर होते ही सब लगता बेकशिश
ये नया मसला तेरे-मेरे बीच
साथ चलने को हूँ बेशक मौजूद
हौसला-भर है तेरे-मेरे बीच
कैलाश नीहारिका
इक तबस्सुम है तेरे-मेरे बीच
राह रौशन है तेरे-मेरे बीच
हमख़याली जब भी रचती है कशिश
इक सुकूं रहता तेरे-मेरे बीच
बारहा लोग बढ़ा देते हैं बात
गुफ़्तगू चलती तेरे-मेरे बीच
शाम-भर धीमी बतकहियों का सबब
रंग लाया है तेरे-मेरे बीच
दूर होते ही सब लगता बेकशिश
ये नया मसला तेरे-मेरे बीच
साथ चलने को हूँ बेशक मौजूद
हौसला-भर है तेरे-मेरे बीच
कैलाश नीहारिका
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteआपका धन्यवाद सुशील कुमार जी.
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