क्या है कि मुझे अक्सर
सुनना फिर सोचना है
एक सरोकार मेरे कन्धों पर सवार सदा--
' बचके रहना ' ! ' बचके रहना ' !
जुबानें शरबती
निगाहें मखमली
इरादे नश्तरी !
ये बेआवाज़ अट्टहास करते
मचान बाँधते
चौकन्ने शिकारी मोर्चे सँभालते
बिना सींग, बिना पूँछ, अदीख पंजों से आश्वस्त !
सहजात वासियों की बस्तियों में
फैलाते निरन्तर
धुँआ ज़हरीला दमघोंटू
सदा गढ़ता आकृतियाँ खतरनाक !
हवाओं में सरसराती सिरचढ़ी-सी फुसफुसाहट
तैरती है दूर तक आजकल ---------
' बचना राधा-वल्लभ ! बचके रहना कनुप्रिया !'
कैलाश नीहारिका
सुनना फिर सोचना है
एक सरोकार मेरे कन्धों पर सवार सदा--
' बचके रहना ' ! ' बचके रहना ' !
जुबानें शरबती
निगाहें मखमली
इरादे नश्तरी !
ये बेआवाज़ अट्टहास करते
मचान बाँधते
चौकन्ने शिकारी मोर्चे सँभालते
बिना सींग, बिना पूँछ, अदीख पंजों से आश्वस्त !
सहजात वासियों की बस्तियों में
फैलाते निरन्तर
धुँआ ज़हरीला दमघोंटू
सदा गढ़ता आकृतियाँ खतरनाक !
हवाओं में सरसराती सिरचढ़ी-सी फुसफुसाहट
तैरती है दूर तक आजकल ---------
' बचना राधा-वल्लभ ! बचके रहना कनुप्रिया !'
कैलाश नीहारिका
No comments:
Post a Comment