Sunday 27 May 2018

दलबल जोड़ा होगा

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कैसे दलबल जोड़ा होगा
तीर अजब ही छोड़ा होगा
 
मार उसी के हिस्से आई
जिसने भंडा  फोड़ा होगा
 
साजिश दर साजिश के चलते
किस-किस ने मुँह मोड़ा होगा

कब सच अखबारों में छपता
क्या सच काठ-हथौड़ा होगा
 
आज भले वह हार गया हो
कल रस्ते का रोड़ा होगा
 
इस किस्से में पेंच कई हैं
क्या-क्या तोड़ा-जोड़ा होगा

ज़ालिम कब होगा घुटनों पर
 कब उस हाथ कटोरा होगा
 
                         कैलाश नीहारिका

9 comments:

  1. सुंदर रचना।
    हर इक से मुँह मोड़ा होगा
    कैसे सब कुछ छोड़ा होगा

    भीतर क्या कुछ टूटा होगा
    जाने क्या-क्या जोड़ा होगा

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    1. शुक्रिया पुरुषोत्तम जी .

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  2. बेहद हृदयस्पर्शी रचना | हर पंक्ति लाजवाब है आदरणीया |पहले तो मुझे आपके ब्लॉग का नाम ही बहुत शानदार लगा | हार्दिक शुभकामनाएं आपको |

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    1. तहे-दिल से शुक्रिया रेणु जी .

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