2122 2122 2122 22
मौत के मुँह से अज़ीज़ों को बचालें अब तो
छटपटाते जिस्म अधनंगे कई ज़ख्म लिए
पौंछ ज़ख्मों को दवा-मरहम लगादें अब तो
फूल-फल, खुशबू छिपे इनमें घना साया भी
दूर तक बंजर ज़मीं पुरनम बना लें अब तो
आजकल फिर बस्तियाँ दिखने लगीं खौफ़ज़दा
साँप ज़हरीले छिपे घर में निकालें अब तो
काश वादों से मुकर पाए नहीं चारागर
सब झरोखों पे पड़े परदे हटा दें अब तो
कैलाश नीहारिका
कैलाश नीहारिका
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