Wednesday 19 October 2022

नदी को पार करना


गुरु ने समझाया --
किसी पर रीझकर मत गढ़ना
कर्म बन्धन नये
मेरी उलझन थी कि
भरी जो रीझ भीतर कूट-कूट कर
उसका क्या !
विरक्त पीड़ा से भर कह उठे वे --
तुम नहीं चाहते पुल से नदी को पार करना
मोहभंग की नदी में उतरकर ही मानोगे !

                                   --कैलाश नीहारिका

No comments:

Post a Comment