Monday, 20 June 2022

बन्द खाली मुट्ठियाँ


इससे पहले कि
आँखों और ओठों से बाहर आते-आते
मोहक मुस्कान
किसी को विभोर कर 
अपना विस्तार कर सके  
वह झट चेहरे पर पसरी 
इर्द-गिर्द की रेखाओं में  
बिला जाती है।

मुस्कान के विलुप्त होने का रहस्य 
गहरा जुड़ा है बन्द मुट्ठियों से 
जो खाली हैं  
पर, भरी होने का भ्रम देती हैं ।
तोड़ ही दूँगी यह भ्रम 
खोलकर खाली मुट्ठियाँ 
तेरी ओर बढ़ने को
तुम्हें भींच सकने को !  

                        कैलाश नीहारिका
 

2 comments:


  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 22 जून 2022 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
    >>>>>>><<<<<<<
    पुन: भेंट होगी...

    ReplyDelete
  2. बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....

    ReplyDelete