Wednesday, 12 April 2023

मुश्किल न था

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दिन बदल जाते बहुत मुश्किल न था
वे सँभल पाते बहुत  मुश्किल न था

ख्वाहिशों के सब  परिंदे  पस्त हैं
काश उड़  पाते बहुत मुश्किल न था
  
दूरियों तक फ़ैल ही जाता धुआँ
साँस ले पाते बहुत मुश्किल न था

क्यों नहीं मिल बोल लेतीं चाहतें
बात कह पाते बहुत  मुश्किल न था

अश्क़ समझाते कभी बेचैनियाँ
वे समझ जाते बहुत मुश्किल न था

धूल के ज़र्रे उड़े आकाश में
कुछ नमी लाते बहुत मुश्किल न था
 
भीगते-से बोल जो झुठला गए 
सच उगल पाते बहुत मुश्किल न था 

                                            कैलाश नीहारिका 

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