कविता क्या है ? इसकी शास्त्रीय व्याख्याओं में न जाकर 'अनुभव ही प्रमाण ' के आधार पर कहूँगी
कि कविता एक ऐसी उपज है जिसकी जड़ें गहरी हैं । कविता के शब्दों से ही अर्थ नहीं झरते, उसके
शब्द जिस' स्पेस ' से आवरण युक्त होते हैं, वह 'स्पेस 'भी कविता कहता है । कविता को समझने के
लिए उस 'स्पेस ' का मर्म समझना ज़रूरी है । मर्मज्ञ ही हो सकता है कविता का पाठक !
कि कविता एक ऐसी उपज है जिसकी जड़ें गहरी हैं । कविता के शब्दों से ही अर्थ नहीं झरते, उसके
शब्द जिस' स्पेस ' से आवरण युक्त होते हैं, वह 'स्पेस 'भी कविता कहता है । कविता को समझने के
लिए उस 'स्पेस ' का मर्म समझना ज़रूरी है । मर्मज्ञ ही हो सकता है कविता का पाठक !
कैलाश नीहारिका
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