जिस तरह सबसे जोड़ देता मुझे तेरा ख़याल
बारहा करता फिर अलहदा मुझे तेरा ख़याल
आहटों का भी मुंतज़िर हो कभी सारा वज़ूद
किस नफ़ासत से थाम लेता मुझे तेरा ख़याल
खास बरसाती बादलों की धमक-सा आबशार
घेरता कुहरे-सा घुमड़ता मुझे तेरा ख़याल
ठूँठ पर देखा कोंपलों का निकलना लाजवाब
यूँ करिश्मा कोई दिखाता मुझे तेरा ख़याल
क्यों हवाओं में घोलती है सदा कोयल मिठास
इक गुलिस्ताँ-सा रोज़ रचता मुझे तेरा ख़याल
212 22 212 212 22 121
कैलाश नीहारिका
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