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Wednesday, 12 April 2023

ज़मीनी रहनुमा


अनकहे कह दी मुक़म्मल बात उसने
इस तरह साझे किये जज़्बात उसने

साफगोई सिर्फ़ किस्सों में नहीं थी
की हक़ीकी राजदां-सी बात उसने
 
क्या कहे वादे अधूरे रह गए जो
हस्तियों की देख ली औकात उसने
 
बदगुमां-सी महफ़िलों का दौर हरसू
दर्ज  की अब रहनुमा की छाप उसने
 
मतलबी इस दौर में मजलिस सरीखे
रात-दिन देखे कई हालात उसने

                           कैलाश नीहारिका



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