222 222 22
कैसे दलबल जोड़ा होगा
तीर अजब ही छोड़ा होगा
कैसे दलबल जोड़ा होगा
तीर अजब ही छोड़ा होगा
मार उसी के हिस्से आई
जिसने भंडा फोड़ा होगा
जिसने भंडा फोड़ा होगा
साजिश दर साजिश के चलते
किस-किस ने मुँह मोड़ा होगा
कब सच अखबारों में छपता
किस-किस ने मुँह मोड़ा होगा
कब सच अखबारों में छपता
क्या सच काठ-हथौड़ा होगा
आज भले वह हार गया हो
कल रस्ते का रोड़ा होगा
कल रस्ते का रोड़ा होगा
इस किस्से में पेंच कई हैं
क्या-क्या तोड़ा-जोड़ा होगा
ज़ालिम कब होगा घुटनों पर
कब उस हाथ कटोरा होगा
क्या-क्या तोड़ा-जोड़ा होगा
ज़ालिम कब होगा घुटनों पर
कब उस हाथ कटोरा होगा
कैलाश नीहारिका
सुंदर रचना।
ReplyDeleteहर इक से मुँह मोड़ा होगा
कैसे सब कुछ छोड़ा होगा
भीतर क्या कुछ टूटा होगा
जाने क्या-क्या जोड़ा होगा
शुक्रिया पुरुषोत्तम जी .
Deleteसुंदर रचना
ReplyDeleteआभार आपका .
Deleteवाह!
ReplyDeleteआभार आपका .
Deleteबेहद हृदयस्पर्शी रचना | हर पंक्ति लाजवाब है आदरणीया |पहले तो मुझे आपके ब्लॉग का नाम ही बहुत शानदार लगा | हार्दिक शुभकामनाएं आपको |
ReplyDeleteतहे-दिल से शुक्रिया रेणु जी .
Deleteशुक्रिया जोशी जी .
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