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Sunday, 27 May 2018

दलबल जोड़ा होगा

 222  222  22

कैसे दलबल जोड़ा होगा
तीर अजब ही छोड़ा होगा
 
मार उसी के हिस्से आई
जिसने भंडा  फोड़ा होगा
 
साजिश दर साजिश के चलते
किस-किस ने मुँह मोड़ा होगा

कब सच अखबारों में छपता
क्या सच काठ-हथौड़ा होगा
 
आज भले वह हार गया हो
कल रस्ते का रोड़ा होगा
 
इस किस्से में पेंच कई हैं
क्या-क्या तोड़ा-जोड़ा होगा

ज़ालिम कब होगा घुटनों पर
 कब उस हाथ कटोरा होगा
 
                         कैलाश नीहारिका

Thursday, 3 May 2018

बेहुनर हाथ

बेहुनर हाथ किसी काबिल बना दूँ तो चलूँ
आस की डोर  हथेली में थमा दूँ तो चलूँ

मोड़ दर मोड़ मिलेंगे राह भूले चेहरे 
एक मुस्कान निगाहों में बसा लूँ तो चलूँ                 

रात-भर नींद करेगी बेवफ़ा-सी बतकही 
जश्न  की साँझ अँधेरों से बचा लूँ तो चलूँ
                        
पाँव नाज़ुक उलझ गए कंकरीली  राह से 
अजनबी मोड़ गले तुमको लगा लूँ तो चलूँ 

डगर को छोड़ कहाँ जाऊँ भला तुम ही कहो
चाँद की चाह समन्दर को बतादूँ तो चलूँ

रोज़ क्या साथ रहेंगे फुरसतों के सिलसिले
धूल में जज़्ब  हुए लम्हे  उठा लूँ तो चलूँ

    2122  222  2122  212   
                     कैलाश नीहारिका